(Kiran Kathuria) www.bharatdarshannews.com
JB Sharma/Faridabad News, 28 September 2019 : विधानसभा 89 में मुकाबला क्यूंकर दिलचस्प हो सकता है? यह बात समझने वाली है। एक तरफ अपने कार्यकाल में लोक प्रियता और विश्वसनीयता हासिल कर चुके बीजेपी के प्रत्याक्षी विपुल गोयल हैं। दूसरी ओर सन् 2014 में इसी विधान से चुनाव हार चुके कांग्रेस के पूर्व विधायक आनंद कौशिक और बल्लबगढ़ से कांग्रेस की हारे हुए प्रत्याक्षी लखन सिंगला हैं जो कांग्रेस से टिकट हासिल करने की जुगत में लगे हुए हैं। यह माना कि लखन सिंगला भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के बहुत चहते माने जाते हैं। क्या कांग्रेस का टिकट हासिल करने के लिए इतना पर्याप्त होगा। वहीं क्या अनुभवी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा आनंद कौशिक की वरिष्ठता की अनदेखी कर पायेंगे? बड़ा सवाल यह भी है कि क्या कांग्रेस पार्टी किसी भी स्तर पर आपसी मत-भेद या मनमुटाव को समाप्त करके अपने ही उमींदवारों को संतुष्ट कर पाने में सफल हो पायेगी? विशेषकर उन परिस्थितियों में जब बल्लबगढ़ में कांग्रेस की लोकप्रिय नेता कुमारी शारदा की अनदेखी करके लखन सिंगला को टिकट दे दी गई थी और सिंगला जी भाजपा-प्रत्याक्षी मूल चंद शर्मा से चुनाव हार गए थे। मूलचंद की जीत को यहां मोदी लहर का नाम दिया जाए!
जहां तक विपुल गोयल का सवाल है वह एक ऐसी पार्टी के प्रत्याक्षी के रूप में जनता के बीच दौबारा आ रहे हैं, जिसकी सरकार केन्द्र और देश के लगभग 18 प्रांतो में है। वही बीजेपी पार्टी ने देश के मतदाताओं की ऐसी नब्ज़ पकड़ रखी है जिसकी पकड़ ढीली हो गई हो कहना मुश्किल है। ऐसे में कांग्रेस के भावी प्रत्याक्षी लखन सिंगला अगर केवल मात्र जातीए समीकरण के आधार पर ये समझें कि सारा समुदाय उनके साथ खड़ा हो कर उनके हक में मतदान कर देगा! तो यह बात कल्पना में संभवत: सही लग सकती है लेकिन ज़मीन पर जो तस्वीर उभरेगी वह सिंगला जी की कल्पना से विपरीत भी हो सकती है। ऐसे में जब हम बात करते हैं कांग्रेस के अनुभवी नेता आनंद कौशिक की तो वे जहां एक ओर उम्र दराज़ हो रहे हैं वहीं पूर्व की हार भी उनके विश्वास को कमज़ोर कर सकती है। कांग्रेस की ओर टिकट किसे मिलेगी यह अभी बंद मुठ्ठी का खेल है।